Saturday 7 October 2017

जिंदगी








अजब हैं यहा पे लोग सारे, दिल के जजबात जुबां पे लाने से डरते हैं ।
केहने को तो साथ रहते हैं सभी पर नफरत कि निगाहो से मोहब्बत करना भी जानते हैं ।। 

खामोशी को हथियार बनाना जानते हैं, खामोशी में आंसू पीना भी जानते हैं ।
हादसे तो हजारों रोज होते हैं यहा पर हर बार मर कर जीना सभी जानते हैं ।।  

सपनो को हासील करने की फिराक मे अपनों से कई दूर हो जाते हैं ।  
खुशियों की किमत चुकाते चुकाते दुख की चादर ओढे ही सो जाते हैं ।।

Sunday 11 December 2016

दोस्ती




खुबियों से नही होता अपनापण दोस्तों से सदा । 
कमियों को भी अपनाले के दोस्ती मिसाल बन जाएगी ॥ 

बदलती हुई फितरतें आज चोट दिलों को दे शायद ।
बेकार की इन भूल पे कल यादें अफ़सोस ही जता पाएगी ।।

याद आएगी ऐसी बातें जो हसी होटों पे ले आएगी ।
हसते हसते अंजाने में आँखें नम कर जाएगी ।। 

वक्त बहोत कल मिल जाए शायद अपनों के संग बिताने के लिए । 
ज़िन्दगी अधूरी पड जाएगी बीती खुशियाँ दोहराने के लिए ॥ 

जी लो इन लम्हों को यारों के ये लम्हे फिर ना आएंगे ।
साथ बिताये ये पल यादों तक ही सिमट जायेंगे ।।


Tuesday 29 November 2016

अवीरा




बढ़ते हुए क़दमों को सहारे की कमी थी,
आसमां को छूने वाले सपनों को होसलों की कमी थी ।।

लफ्ज़ निकलते तो थे खुशियाँ बयां करने वाले,
उन्हें समझने वाले फन्कारों की कमी थी ।।

खूब मिली ज़िन्दगी जिसे दुख का अंधेरा भी ना छू सके,
उसे रोशन करने वाले एक किरण की कमी थी ।।

कमी तो थी जिंदगी की मगर..
हममे जीने के चाहत की कमी न थी ।।


Friday 11 November 2016

अतीत





गुजरते थे इन गलियों से कभी, अब इनकी यादें सताया करती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 

बरसात की धुंद लहरों में, कश्तियाँ पार लगाया करते थे 
दोस्तों संग जीवन का हर रंग सजाया करते थे 
बह गया वो बचपन अब तो परछाइयाँ दिखाई देती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 

जीने की भागदौड़ में, दूर ले आयी तक़दीर हमें 
छूट गया सब साथ अपनों का जिंदगी की इस रफ़्तार में 
सपनों की भीड़ में नजरे अतीत अपना  ढुंडती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 


Tuesday 8 November 2016

अबोला




तुझे शब्द प्रीतीचे जोपासुन आहे 
तुझी साथ एकांतातही भासताहे 

मनी जाण होता तुझ्या कल्पनेची 
दुरावा तुझा आसवांतुन वाहे 

जरी हाक देण्या मन आतुर आहे 
उरी भावनांचा का थैमान चाले 

तुझ्या आठवणीतुनी संचारताना 
अबोला तुझा या मनी साद घाले 


मन बावरे





मन स्वप्नी विचारांच्या रथात स्वार 
तुज संगतीत स्वैर भिरभिरते
सत्यात जाणुनी विरह तुझा
बैचेन होऊनी व्याकुळते

होताच चाहुल तव स्पर्शाची
फुलवुनी शहारे मोहविते
सुटताच साथ त्या घटकाला
पुनः भेटीची आस ते धरते

चांदण्या सम मन माझे
निशी आसमंती दाटीत बावरते
मिळताच दिशा चंद्र तेजाची
प्रफुल्लित होऊन सावरते 



Monday 7 November 2016

वो मुलाकात कुछ और ही थी




उनके चेहरे पर रौनक कुछ अलग सी थी  
निगाहों की चमक भी और ही  थी 

उनके आने से फ़िज़ाओं ने कुछ यूँ रुख बदला  
के, माहौल की हरकतें भी अब और ही थी

बड़ी देर तक निहारते रहे उनकी अदाओं को 
पर नजरों की दरख्वास्त थोड़ी और भी थी 

कुदरत की देन है उनकी खूबसूरती 
पर खुदा की रहमत उनपे थोड़ी और ही थी 

दिदार तो अक्सर होते है उनके 
लेकिन वो मुलाकात कुछ और ही थी