Tuesday 29 November 2016

अवीरा




बढ़ते हुए क़दमों को सहारे की कमी थी,
आसमां को छूने वाले सपनों को होसलों की कमी थी ।।

लफ्ज़ निकलते तो थे खुशियाँ बयां करने वाले,
उन्हें समझने वाले फन्कारों की कमी थी ।।

खूब मिली ज़िन्दगी जिसे दुख का अंधेरा भी ना छू सके,
उसे रोशन करने वाले एक किरण की कमी थी ।।

कमी तो थी जिंदगी की मगर..
हममे जीने के चाहत की कमी न थी ।।


Friday 11 November 2016

अतीत





गुजरते थे इन गलियों से कभी, अब इनकी यादें सताया करती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 

बरसात की धुंद लहरों में, कश्तियाँ पार लगाया करते थे 
दोस्तों संग जीवन का हर रंग सजाया करते थे 
बह गया वो बचपन अब तो परछाइयाँ दिखाई देती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 

जीने की भागदौड़ में, दूर ले आयी तक़दीर हमें 
छूट गया सब साथ अपनों का जिंदगी की इस रफ़्तार में 
सपनों की भीड़ में नजरे अतीत अपना  ढुंडती है 
अंजानी उन राहों से, अपनों की आहट सुनाई देती है 


Tuesday 8 November 2016

अबोला




तुझे शब्द प्रीतीचे जोपासुन आहे 
तुझी साथ एकांतातही भासताहे 

मनी जाण होता तुझ्या कल्पनेची 
दुरावा तुझा आसवांतुन वाहे 

जरी हाक देण्या मन आतुर आहे 
उरी भावनांचा का थैमान चाले 

तुझ्या आठवणीतुनी संचारताना 
अबोला तुझा या मनी साद घाले 


मन बावरे





मन स्वप्नी विचारांच्या रथात स्वार 
तुज संगतीत स्वैर भिरभिरते
सत्यात जाणुनी विरह तुझा
बैचेन होऊनी व्याकुळते

होताच चाहुल तव स्पर्शाची
फुलवुनी शहारे मोहविते
सुटताच साथ त्या घटकाला
पुनः भेटीची आस ते धरते

चांदण्या सम मन माझे
निशी आसमंती दाटीत बावरते
मिळताच दिशा चंद्र तेजाची
प्रफुल्लित होऊन सावरते 



Monday 7 November 2016

वो मुलाकात कुछ और ही थी




उनके चेहरे पर रौनक कुछ अलग सी थी  
निगाहों की चमक भी और ही  थी 

उनके आने से फ़िज़ाओं ने कुछ यूँ रुख बदला  
के, माहौल की हरकतें भी अब और ही थी

बड़ी देर तक निहारते रहे उनकी अदाओं को 
पर नजरों की दरख्वास्त थोड़ी और भी थी 

कुदरत की देन है उनकी खूबसूरती 
पर खुदा की रहमत उनपे थोड़ी और ही थी 

दिदार तो अक्सर होते है उनके 
लेकिन वो मुलाकात कुछ और ही थी  


कल्पनेत तुझिया





एक प्याला तुझ्या प्रेमाचा नशेत ज्याच्या डुबून जावं 
नवजात जणू कळी प्रमाणे कुशीत तुझ्या फुलून यावं 

कातिल तुझ्या नजरेच्या कटाक्षातुनी घायाळ व्हावं 
सरता सरता ओठांच्या पाकळ्यांवरती विलीन व्हावं 

चंचल तुझ्या आठवणींच्या रथात मन स्वैर व्हावं 
रंगांत तुझ्या प्रीतीच्या आतुर मन चिंब भिजावं 

विसरून अवघ्या सत्याला कल्पनेत तुझिया हरवून जावं 
भुलवून साऱ्या बंधनांना तुझ्यात मजला सामावून घ्यावं 


कोणीतरी असावी




कोणीतरीअसावी
उसळणारया हास्याच्या लाटेला साथ देणारी
गजबजलेल्या एकांतात सोबतीचा हात देणारी
भरकटलेल्या मनाला विचारांची वाट देणारी

कोणीतरी असावी
भरलेल्या डोळ्यातील आसवांना हास्याने मात देणारी
हरलेल्या आशेच्या रात्रीला नवी पहाट देणारी
थकलेल्या प्रयत्नांना लढ़ण्याचा विश्वास देणारी

कोणीतरी असावी
मनाच्या कोपरयात मैत्रीचे भाव बणून साठणारी
अबोल ओठावरचे शब्द नजरेतूनच वाचणारी
कोणीतरी असावी..  अनोळखी असूनही आपलीसी वाटणारी



ज़िन्दगी अभी बाकी है




कुछ बातें थी अधूरी सी, कुछ थी अनकही सी ।
उन अनकही बातों की दास्तान अभी बाकी हैं ॥ 

चल पड़े थे तलाश में कुछ अजनबी मंजिलों की । 
उन अजनबी मंज़िलों के इम्तिहान कई बाकी हैं  ॥ 

बेजान सपनों की  ख्वाहिशों  में टुटा हैं दिल अक्सर । 
पर टूटें हुए इस दिल मैं आरजू अभी बाकी हैं ॥ 

कुदरत की बेवफाई से चाहे हारें हैं ख़्वाब सारे  । 
पर हारें हुए उन ख्वाबों में हौसला अभी बाकी हैं ॥ 

देखीही नही तूने ताकद मेरे इरादों की । 
इन इरादों की असली उड़ान अभी बाकी हैं ॥ 

ऐ ज़िन्दगी,  जरा संभल के खेलना । 
इस खेल में अभी चाल मेरी बाकी हैं ॥