Monday 7 November 2016

ज़िन्दगी अभी बाकी है




कुछ बातें थी अधूरी सी, कुछ थी अनकही सी ।
उन अनकही बातों की दास्तान अभी बाकी हैं ॥ 

चल पड़े थे तलाश में कुछ अजनबी मंजिलों की । 
उन अजनबी मंज़िलों के इम्तिहान कई बाकी हैं  ॥ 

बेजान सपनों की  ख्वाहिशों  में टुटा हैं दिल अक्सर । 
पर टूटें हुए इस दिल मैं आरजू अभी बाकी हैं ॥ 

कुदरत की बेवफाई से चाहे हारें हैं ख़्वाब सारे  । 
पर हारें हुए उन ख्वाबों में हौसला अभी बाकी हैं ॥ 

देखीही नही तूने ताकद मेरे इरादों की । 
इन इरादों की असली उड़ान अभी बाकी हैं ॥ 

ऐ ज़िन्दगी,  जरा संभल के खेलना । 
इस खेल में अभी चाल मेरी बाकी हैं ॥




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